गूगल ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अपने उत्पादों में भारतीय भाषाओं के लिए बेहतर समर्थन प्रस्तुत करने जा रहा है। पिछले महीने हिन्दी के लिए मशीन-लर्निंग आधारित अनुवाद के लिए समर्थन शुरू करने के बाद, अब वह 9 अन्य भारतीय भाषाओं को अपने ‘प्राकृतिक मशीनी अनुवाद’ में शामिल करने जा रहा है । कंपनी अपने क्रोम ब्राउज़र के अंतर्निहित स्वतः अनुवाद कार्यक्षमता को नई अनुवाद तकनीक से सक्षम करने जा रही है। इसके अतिरिक्त, यह घोषणा भी की गई है कि उसके ‘जी-बोर्ड’ नामक कीबोर्ड एप अब सभी 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं का समर्थन करेगा। इतना ही नहीं गूगल खोज परिणामों में अब हिंदी शब्दकोश के परिणाम भी शामिल होंगे.
कुल मिला कर भारतीय भाषाओं में आपस में अनुवाद के लिए अब उन्नत तकनीक को शामिल किया गया है. इससे अनुवाद को ‘स्वाभाविक’ बनाने में सहायता मिलेगी. इस तकनीक से पूरे वाक्यों का अनुवाद होगा, न की टुकड़ों में.
गूगल अपने क्रोम ब्राउज़र में अंतर्निहित स्वतः अनुवाद कार्यक्षमता को नई अनुवाद तकनीक से सक्षम करने जा रही है। इसकी सहायता से भारतीय उपयोगकर्ता विदेशी भाषाओं की वेब साइटों को अब ९ भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर देख सकेंगे.
इतना ही नहीं गूगल अपनी नई ‘स्वतः मशीनी प्राकृतिक अनुवाद’ तकनीक को गूगल मानचित्र में भी शामिल करने जा रहा है. इससे उपयोगकर्ता अब रेस्तरां, होटल, कैफे वगेरे के अनुवादित रिव्यू को अपनी भाषाओं में पढ़ पाएंगे.
गूगल सर्च में अब उपयोगकर्ता राजपाल एंड साँस हिंदी शब्दकोश के परिणाम भी देख पाएंगे. इसके लिए खोज के बक्शे में इच्छित शब्द को लिख कर ‘का मतलब’ लिखने पर उस शब्द का अर्थ, शब्दकोश से परिभाषा तथा शब्द सम्बन्धी वेब परिणाम प्राप्त होंगे.
उल्लेखनीय है की भारत में २३ करोड़ ४० लाख भारतीय भाषाई इंटरनेट उपयोग करता है. वहीं अंगरेजी जानने वाले १७ करोड़ लोग ही नेट का उपयोग कर रहे है. ऐसे में गूगल की यह पहल भारत में नेट का बेहतर अनुभव देने और अपनी सेवाओं को विस्तार देने का सशक्त प्रयास है.
छवि ब्रांड कंसलटिंग, अहमदाबाद के संस्थापक। हिंदी में पहली पीढ़ी के जाने माने ब्लॉगर एवं वेब लेखक। वेब अनुप्रयोगों के हिंदीकरण में सक्रिय भूमिका। विज्ञान एवं तकनीक आधारित पुरस्कृत हिंदी पोर्टल ‘तरकश.कॉम’ के संपादक रहे। वेब पोर्टल निर्माण और रखरखाब के क्षेत्र में 10 साल से कार्यरत।
वाकई तकनीक ग़ज़ब की है. एक आलेख इस पर यहाँ लिखा है –
http://raviratlami.blogspot.in/2017/04/blog-post_70.html