कार्य-स्थल पर काम के बोझ और तमाम तरह के दबावों के बाद भी खुश रहा जा सकता है?
जब यह सवाल मेरे सामने आया तो मैने जो अपने सह-कर्मियों से कहा वही यहाँ ब्लॉग के रूप में प्रस्तुत है.
तो क्या हम कार्य स्थल पर खुश रह सकते हैं, या अपने कार्य स्थल को अपने लिए आनंद दायक जगह बना सकते है? जवाब है हाँ, क्यों नहीं. इसके लिए कुछ युक्तियों हैं जिन्हें को आजमा कर देखा जा सकता हैं. देखिये, सरल सा सिद्धांत है, खुशी अनुकुलताओं में निहित है. अतः उन कारणों को दूर करेंगे जो शारीरिक और मानसिक सुख शांति के लिए प्रतिकूल है तथा कष्ट और ऊब की वजह है. साथ ही उन चीजों और युक्तियों को शामिल करेंगे जो आनंद देती है. कुल मिला कर इतना करना है.
वैसे कार्य-स्थल पर खुश रहने की शरूआत घर से करनी पड़ेगी. अगर शरीर स्वस्थ रहेगा तभी मन प्रसन्न रहेगा. अतः स्वास्थ्य के अनुकुल भोजन लें और योग-प्राणायाम का अभ्यास करें.
अब अपनी डेस्क पर आते हैं. कुर्सी पर ध्यान दें. इसी पर बैठ कर पूरा दिन गुजराना है. अतः आपकी कुर्सी आरामदायक होनी चाहिए. आपकी ऊँचाई और टैबल की ऊँचाई के अनुकूल कुर्सी की ऊँचाई होनी चाहिए नहीं तो कमर-कंधे और हाथ में दर्द हो सकता है और आपकी मानसिक शांति भंग हो सकती है. दूसरी महत्त्वपूर्ण चीज है, प्रकाश की व्यवस्था. प्रकाश सही होना चाहिए, अन्यथा आँखों पर तनाव बढ़ेगा और थकान महसूस होने लगेगी. दिन भर उपयोग में आने वाले उपकरण ठीक से काम करने वाले होने चाहिए वरना झुंझलाहट होगी और आपकी प्रसन्नता छीन जाएगी. अतः देख लें कि मोनिटर, की-बोर्ड, माऊस, माऊस पेड, स्टैप्लर, पेन-पेंसिल सब सही अवस्था में हैं तथा अपने सही स्थान पर हैं. जो काम खड़े हो कर हो सकते हैं उन्हें खड़े रह कर निपटाएं, इससे लाभ यह होगा कि लगातार बैठ कर काम करने से होने वाला शारीरिक नुकसान नहीं होगा और स्फूर्ति का अनुभव भी होगा. बैठे बैठे भी अपनी अवस्था को बदलते रहें. एक ही मूद्रा में लगातार न बैठें, मोनिटर पर टकटकी लगा कर काम कर रहें हैं तो आँखें झपकाना न भूलें.
आपकी डेस्क पर या आस-पास धूल-मिट्टी’ तो नहीं है? साफ सुथरी जगह मन को प्रसन्नता से भर देती है. अतः धूल-मिट्टी-कचरा ही नहीं, अनावश्यक चीजें भी अपने आस-पास से हटा दें. साफ-सुथरी हल्की-फुल्की डैस्क प्रसन्नता से भर देगी. अपनी डेस्क को पर्सनलाइज करें. यानी कोई छोटा-मोटा पौधा रखें. प्रिय व्यक्ति की या जिससे प्रेरणा मिले ऐसे किसी पसंद के व्यक्ति की फोटो डेस्क पर रखें. अपनी डेस्क के आस-पास अपने पसंद की वस्तुएँ भी रख सकते है. आस-पास की जगह को पसंद के रंग दे सकते है. ये सब युक्तियाँ बोरियत से बचाएगी और थकान को कम करेगी.
अब आते हैं काम करने के तरीके पर. आपके पास टू-डू लिस्ट पहले से ही तैयार रहनी चाहिए. यानी दिन शरू हो तब, आज क्या क्या काम निपटाने हैं इस पर स्पष्टता होनी चाहिए. इससे समय की बचत होगी और कार्य क्षमता भी बढ़ेगी.
हमारा आपसी व्यवहार भी हमारी खूशी का कारण बनता है, यह महत्वपूर्ण बात है जो मैं अंत में ले रहा हूँ. मुस्कुराने की आदत डालिये. कार्यालय में प्रवेश के साथ ही कम से कम एक व्यक्ति को मुस्कुराहट जरूर दें. नए सहकर्मी के मेंटर बनें. सहकर्मी के काम की प्रशंसा करें. उसे प्रोत्साहन दें. समस्या के समाधान-कर्ता बने. बॉस या प्रबंधकगण को अपने सुझाव दें, अपने फीडबैक दें. चुनौती पूर्ण कार्य स्वयं पहल करते हुए लें. साथ ही प्रति सप्ताह कुछ नया सीखें, इससे कुछ प्राप्त करने की खुशी का अनुभव होगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.
इन युक्तियों को आजमाईये, इन्हें अपनी आदत में शामिल कर मैं तो खुश हूँ और कोई कारण नहीं कि आपको भी सकारात्मक बदलाव महसूस न हो.
छवि ब्रांड कंसलटिंग, अहमदाबाद के संस्थापक। हिंदी में पहली पीढ़ी के जाने माने ब्लॉगर एवं वेब लेखक। वेब अनुप्रयोगों के हिंदीकरण में सक्रिय भूमिका। विज्ञान एवं तकनीक आधारित पुरस्कृत हिंदी पोर्टल ‘तरकश.कॉम’ के संपादक रहे। वेब पोर्टल निर्माण और रखरखाब के क्षेत्र में 10 साल से कार्यरत।