गूगल जैसी कम्पनी अपने लोगो में बदलाव करे तो उसकी चर्चा होनी स्वभाविक है.
वो सब तो ठीक है, मगर जरूरत क्यों पड़ी इस बदलाव की?
सीधे साधे शब्दों में कहें तो जमाना बदल गया है और जरूरते भी. गूगल को अपनी मटेरियल डिजाइन से तालमेल बिठाना था. और उससे भी जरूरी था विभिन्न उपकरणों पर गूगल का लोगो ठीक ठाक दिखे. अब केवल एक-आध रिजोल्युशन वाले मोनिटर का जमाना तो रहा नहीं, नेट का उपयोग भी मोबाइल की छोटी छोटी स्क्रिनों पर ज्यादा होने लगा है, ऐसे में गूगल का लोगो छोटा हो कर भी बराबर दिखे यह जरूरी हो गया था.
अब तक सेरिफ फोंट में गूगल लिखा रहता था. चोंच निकले ये फोंट कहीं कहीं पतले होते जाते हैं. और जब इन्हें छोटा किया जाय तो पतली लाइनें दिखना बंद हो जाती है. इसका एक इलाज यही था कि इस टाइप के फोंट से मुक्ति पा ली जाय. गूगल ने वही किया है. हाँ, अपने सुप्रसिद्ध चार रंगों को अभी नहीं त्यागा है.
कहते हैं नए लोगो में जो फोंट उपयोग में लिये गए है इससे लोगो की इमेज भी कम बाइट की होगी, यानी नेट डेटा की बचत होगी. धीमें कनेक्शन पर या कम रिजोल्युशन पर लोगो ठीक दिखेगा.
कुल जमा गूगल अपनी पहचान को सुदृठ कर रहा है. और क्रम में गुब्बारे जैसे फूले अक्षरों वाले लोगो से होते हुए सपाट बिना नुकीले अक्षरों वाले लोगो तक यात्रा पूरी की है.
छवि ब्रांड कंसलटिंग, अहमदाबाद के संस्थापक। हिंदी में पहली पीढ़ी के जाने माने ब्लॉगर एवं वेब लेखक। वेब अनुप्रयोगों के हिंदीकरण में सक्रिय भूमिका। विज्ञान एवं तकनीक आधारित पुरस्कृत हिंदी पोर्टल ‘तरकश.कॉम’ के संपादक रहे। वेब पोर्टल निर्माण और रखरखाब के क्षेत्र में 10 साल से कार्यरत।